भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति (bi-monthly monetary policy) की घोषणा की है। यह लगातार सातवीं बार है जब आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) ने यथास्थिति बनाए रखी है। आरबीआई (RBI) ने पिछली बार 22 मई, 2020 को अपनी नीतिगत दर को एक ऑफ-पॉलिसी चक्र (off-policy cycle) में संशोधित किया था, ताकि ब्याज दर में ऐतिहासिक रूप से कटौती करके मांग को बढ़ाया जा सके। बैठक 4 अगस्त से 6 अगस्त के बीच हुई थी। शेष बैठक अक्टूबर (6 से 8); दिसंबर (6 से 8) और फरवरी (7 से 9, 2022) में होगी |
सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दरें:
- पॉलिसी रेपो दर: 4.00%
- रिवर्स रेपो दर: 3.35%
- सीमांत स्थायी सुविधा दर:4.25 %
- बैंक दर: 4.25%
- सीआरआर:4 %
- एसएलआर:18.00 %
आरबीआई की मौद्रिक नीति की मुख्य विशेषताएं और प्रमुख निर्णय:
- आरबीआई ने वित्त वर्ष 22 के लिए जीडीपी (GDP) वृद्धि का अनुमान 9.5% पर अपरिवर्तित रखा है।
- आरबीआई जी-सेक एक्विजिशन प्रोग्राम (G-sec Acquisition Programme – GSAP) के तहत 12 अगस्त और 26 अगस्त को रु 25,000 करोड़ की दो और नीलामी आयोजित करेगा।
- 2021-22 के दौरान सीपीआई मुद्रास्फीति 5.7% पर अनुमानित है – इसमें Q2 में 5.9%, Q3 में 5.3% और 2021-22 के Q4 में 5.8% जोखिम व्यापक रूप से संतुलित हैं। 2022-23 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.1% अनुमानित है।
मौद्रिक नीति समिति की संरचना इस प्रकार है:
- भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर – पदेन अध्यक्ष: श्री शक्तिकांता दास (Shri Shaktikanta Das).
- भारतीय रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर, मौद्रिक नीति के इंचार्ज- पदेन सदस्य: डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा (Dr Michael Debabrata Patra).
- केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित भारतीय रिजर्व बैंक के एक अधिकारी – पदेन सदस्य: डॉ. मृदुल के. सगर (Dr Mridul K. Saggar).
- मुंबई स्थित इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान में प्रोफेसर: प्रो. आशिमा गोयल (Prof. Ashima Goyal).
- अहमदाबाद में भारतीय प्रबंधन संस्थान में वित्त के प्रोफेसर: प्रो. जयंत आर वर्मा (Prof. Jayanth R Varma).
- एक कृषि अर्थशास्त्री और नई दिल्ली में नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के एक वरिष्ठ सलाहकार: डॉ. शशांक भिडे (Dr Shashanka Bhide).
मौद्रिक नीति के कुछ महत्वपूर्ण लिखत:
RBI की मौद्रिक नीति में कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लिखत हैं जिनका उपयोग मौद्रिक नीति को लागू करने के लिए किया जाता है. मौद्रिक नीति के कुछ महत्वपूर्ण लिखत इस प्रकार हैं:
रेपो दर: यह (फिक्स्ड) ब्याज दर है, जिस पर बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक से तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत सरकार और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों की संपार्श्विक के खिलाफ रातोंरात तरलता उधार ले सकते हैं.
रिवर्स रेपो दर: यह (फिक्स्ड) ब्याज दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक एलएएफ के तहत पात्र सरकारी प्रतिभूतियों की संपार्श्विकता के खिलाफ रातोंरात बैंकों से तरलता को अवशोषित कर सकता है.
चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ): एलएएफ की रातोंरात और साथ ही इसके अंतर्गत सावधि रिपो नीलामियां हैं. रेपो शब्द इंटर-बैंक टर्म मनी मार्केट के विकास में मदद करता है. यह बाजार ऋण और जमा के मूल्य निर्धारण के लिए मानक निर्धारित करता है. यह मौद्रिक नीति के प्रसारण को बेहतर बनाने में मदद करता है. विकसित बाजार की स्थितियों के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक परिवर्तनीय ब्याज दर रिवर्स रेपो नीलामी भी करता है.
सीमांत स्थायी सुविधा (MSF): MSF एक प्रावधान है जो अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक से रातोंरात अतिरिक्त धनराशि उधार लेने में सक्षम बनाता है. बैंक अपने वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) पोर्टफोलियो में ब्याज की दंड दर तक सीमित करके ऐसा कर सकते हैं. इससे बैंकों को उनके द्वारा सामना किए गए अप्रत्याशित तरलता झटके को बनाए रखने में मदद मिलती है.
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण:
- RBI के 25 वें गवर्नर: शक्तिकांत दास; मुख्यालय: मुंबई; स्थापना: 1 अप्रैल 1935, कोलकाता.